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Monday, December 1, 2025

हिन्दी लघुकथा (अङ्क २९ मा प्रकाशित)


पुजारी जी ने, रमाकांत जी को मंदिर कि तरफ आते  हुए देखा तो कहा –

क्या बात है, आज आप रोज से ज्यादा फल और मिठाई भगवान जी चढाने के लिए लाए है ।

मंदिर में प्रवेश करते हुए, रमाकांत जी ने कहा ––
हां, पुजारी जी । वो क्या है कि आज व्यापार में रोज से ज्यादा मुनाफा हुआ है । इसलिए सोचा, आज कुछ फल और मिठाई भगवान जी को ज्यादा चढा दूँ ।

रमाकांत जी कि बात सुन कर पुजारी जी, मुस्कराते हुए अपने काम लग गए ।

नियमित रुप से रोज मंदिर आने वाले रमाकांत जी बहुत दिनों से मंदिर नहीं आए तो पुजारी जी ने रमाकांत जी को फोन लगाया, और जानना चाह कि वे रोज क्यों नहीं आ रहे हैं ।

रमाकांत जी ने कहा –– पुजारी जी, बहुत दिनों से व्यापार में घाटा हो रहा था । घाटा होने के बाद भी में कई दिनों तक नियमित मंदिर आया, पर अब जब रोज ही व्यापार में घाटा हो रहा है, तो फिर मंदिर आने का क्या फायदा ।

रमाकांत जी कि यह बात सुनकर, पुजारी जी हतप्रभ रह गए । 

- जावरा, म.प्र., भारत

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