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Tuesday, September 16, 2025

हिन्दी लघुकथा (अङ्क २७ मा प्रकाशित)



 शवों के ढेर से कहीं सिसकने की आवाजें आ रहीं थीं। दूर दूर तक कोई नहीं था सुनने वाला सिवाय उन गिद्धों के जो अपने शिकार को नोच खाने की प्रतीक्षा में थे ।

“क्या कहीं सूखा या अकाल पडा है, ये त्राहिमाम कैसा, मानवता क्यों सिसक रही है ।’’ एक वृद्ध गिद्ध ने दूसरे युवा गिद्ध से पूछा ? उत्तर मिला गिद्धों की एक नई प्रजाति ने जन्म लिया है, जो अपने शिकार को पहले शव बनाते हैं, फिर उसकी मृत्यु पर दुःख जताते हैं और फिर उसे नोच–नोच कर खाते हैं ।

कौन हैं वे, कहाँ से आये ? वृद्ध गिद्ध ने आश्चर्यचकित हो पूछा ?

युवा गिद्ध ने उत्तर में कहा “मानव जब राजनीति में आता है, और फिर राजनीतिक शक्तियों को पाने की लालसा में मानवता की तिलांजली दे देता है । तब वह राजनीतिक गिद्ध कहलाता है ।’’

उत्तर सुन कर वृद्ध गिद्ध बोला ये तो हमें बदनाम कर रहे हैं । यह तो अपनों पर ही झपट रहे हैं । हम तो अपने क्या दूसरे प्रजाति के जीवों के भी मरने तक इन्तजार करते हैं ।

ग्रेट ब्रिटेन

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