Monday, December 1, 2025

हिन्दी लघुकथा (अङ्क २९ मा प्रकाशित)


अभी वह आफिस में बैठा ही था की चपरासी रिसीवर उसकी तरफ बढाता हुआ बोला–सर चीफ साहब का फोन है ।

टेलीफोन पर पिघलते हुए उसने कहा– ॅनमस्ते सर, मैं वर्मा बोल रहा हूँ’

नमस्ते, तुम अपनी रिपोर्ट भिजवाते क्यों नही, आज फिर एक रिमाइंडर आया है, तुम्हे प्रमोशन नही चाहिए क्या?

नहीं सर, ऐसी बात नही है, हमने तो परसो ही फार्म भर कर आपके पास भिजवा दिया था, आपके डाक में पडी होगी सर । 

अच्छा ठीक है, मै अभी दिखवा लेता हूँ, और सुनो, क्या बात है तुमने चरण दास का पेमेंट क्यों रोकवा दिया है ।

सर, वह तो बिलकुल बेकार आदमी है, अपना तो जायेगा ही, हम सभी को ले डूबेगा ।

क्या हुआ सर, उसने सीमेंट की जगह खाली बालू ही भेज दिया है, एक बरसात भी दीवार सह नही पायेगी, इसीलिए उसके खिलाफ आपके पास रिपोर्ट भेज रहा हूँ ।

भाई, वह अपना आदमी है, मंत्री जी का साला है, जरा एक बार फिर से तुम खुद देख लो, उन बोरियो में सीमेंट ही होगी, और सुनो, शाम को लौटते समय इधर से हमसे मिलकर अपना गोपनीय रिपोर्ट भी देखते जाना ।

- लखनऊ, भारत

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