रौशनी
- संजय मृदुल रायपुर छत्तीसगढ़
जब से ऋचा का बारहवीं का रिजल्ट आया है सभी को उससे उम्मीदें बढ़ गई। नब्बे से थोड़ा सा कम रहा परसेंट उसका।लेकिन किसी भी कॉम्पिटेटिव एक्जाम में उसके नंबर अच्छे नहीं आए। आईआईटी जाने का सपना इस साल टूट गया। अब पूरी तरह निराश हो चुकी ऋचा को आगे कुछ सूझ नहीं रहा है।सब समझा रहे कि एक साल ब्रेक लेकर तैयारी कर लो, लेकिन वो जानती है एक साल खराब होगा और फिर अगर मनचाहा परिणाम नहीं आया तो?
उसकी दादी बहुत पढ़ी लिखी नहीं लेकिन दुनिया का ज्ञान बहुत है।
उन्होंने समझाया कि जरूरी नहीं की हर बच्चे को मनचाही मंजिल मिल जाए। इसलिए जब वो नहीं मिले जो तुम चाहते हो तो जो मिल रहा है उसे स्वीकार करो और उसमें बेहतर करो। तुम फाइन आर्ट्स में क्यों नहीं जाती। तुम्हारी ड्राइंग बहुत अच्छी है, तुम्हें रुचि भी है इसमें। इसमें केरियर बनाओ। जब रुचि केरियर में तब्दील होती है तो उसमें ज्यादा मन लगता है।
ऋचा को दादी की बात सुन अंधेरे में रौशनी की किरण दिखाई देने लगी।
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