Monday, June 17, 2024

हिन्दी लघुकथा (अङ्क १३ मा प्रकाशित)

प्रतिविम्ब

-डॉ. संजय रॉय 'रंगकर्मी-चित्रकार' 
शिवनारायण रोड, कच्ची घाट, पटना सिटी- 800008,
बिहार (भारत)     


पाँच नमाज़ी कट्टर मुल्ले को निचा दिखाने के लिए असामाजिक तत्वों ने अँधेरे में उसकी दाढ़ी-बाल मुंड दिए ! उसके बाद वो विक्षिप्त सा रहने लगा ! मानों उसका धर्म हीं नष्ट हो गया हो, वह पागलों की तरह चिल्ला रहा था, "या...अल्लाह अब मैं पक्का मुसलमान न रह सका...! मैंने अपने धर्म की हिफाज़त न कर पाया, या...परवरदिगार अब मैं जीना नहीं चाहता... !" 

यह कहते हुए उसने पूल से छलांग दी, पर निचे मछुआरे ने उसकी जान बचा ली !होश आने पर मुल्ले ने अपनी सारी वाक्या कह सुनाई ! सुनकर मछुआरे ने कहा, "मैं भी कट्टर धार्मिक हूँ,ज़िंदगी के आधे से अधिक समय इसी नाव पर बिताई है, मेरा धर्म तो पानी में हीं फला- फुला ! मैं समयाभाव के कारण रोज़ाना मस्ज़िद नहीं जा पाता हूँ पर घाट के किनारे खड़ी मस्ज़िद के प्रतिविम्ब को पानी में पाकर अपनी सज़दा नाव पर हीं कर लेता हूँ और दुआ क़ुबूल हो जाता है, अरे पगले...दाढ़ी-बाल में क्या रखा है भला...? रोज़ाना सिर में दही मालो...और देखना ! अल्लाह ने चाहा तो तेरा धर्म एक दिन पुनः वापस लौट आएगा !" 


...साथ सहयोगको खाँचो

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