Friday, June 13, 2025

हिन्दी लघुकथा (अङ्क २४ मा प्रकाशित)


कल तक बेटे को, माँ को घर का काम करते देख, पीडा होती थी, सलाह भी देता की तुम अधिक काम न किया करो, पर अब उसके विचारो में परिवर्तन आ गया था, क्योकि कल तक वह माँ का बेटा ही था, अब पत्नी वाला भी हो गया है, इसी लिए पत्नी की पक्षधरता करते हुए बोले – माँ, तुम आजकल लेटी क्यों रहती हो ? तबियत तो ठीक है न ?

– है बेटा, उम्र अधिक हो गयी है, काम करने से थक जाती हूँ, बहु आ गयी है तो थोडा आराम भी कर लेती हूँ ……,

– माँ, अपनी बात को पूरा कर भी नहीं पायी थी की बेटा बीच में ही बोल पडा । 

– लेकिन माँ, सुकन्या से काम न कराया करो, अपने पिता के घर में उसने कभी कोई काम नहीं किया, यहाँ करेगी तो उसकी तबियत खराब हो सकती है ।

–बहु ने तो कभी ऐसा कहा नहीं, बल्कि वह स्वयं ही मुझे आराम करने की सलाह देती है ।

– उसके कहने से क्या होता है, तुम्हे खुद सोचना चाहिए ।

– बेटे की बातो को सुनकर माँ को विश्वास नहीं हो रहा था की उसका अपना बेटा यह बात बोल रहा है, पर सामने तो बेटा ही खडा था ।

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